बाल विकास की अवस्थाएँ
( Stages of Child Development )
बाल विकास की प्रक्रिया को विभिन्न अवस्थाओं में बाँटा जा सकता है विभिन्न विद्वानों ने विकास की अवस्थाओं को अलग - अलग प्रकार से वर्गीकृत किया है ।
यह अवस्थाएँ निम्नलिखित है
1 रॉस के अनुसार विकास की अवस्थाएँ
1 . शैशवावस्था ( Infancy ) जन्म से 5 या 6 वर्ष तक ।
2 . बाल्यावस्था ( Childhood ) - 5 या 6 वर्ष से 12 वर्ष तक ।
3 . किशोरावस्था ( Adolescence ) - 12 वर्ष से 18 वर्ष तक ।
4 . प्रौढावस्था ( Adulthood ) - 18 वर्ष के पश्चात् । ।
II हरलॉक ( 1990 ) द्वारा वर्णित विकास अवस्थाएँ इस प्रकार हैं
1 . गर्भकालीन अवस्था ( Prenatal Period ) - गर्भधारण से जन्म तक ।
2 . शैशवावस्था ( Infaney ) - जन्म से चौदह दिनों की अवस्था तक ।
3 . बचपनावस्था ( Babyhood ) - दो सप्ताह के बाद से दो वर्ष तक ।
4 . पूर्व बाल्यावस्था ( Early Childhood ) - तीन वर्ष से छः वर्ष तक ।
5 . उत्तर बाल्यावस्था ( Late Childhood ) - छ से चौदह वर्ष तक ।
6. वयः सन्धि या पूर्व किशोरावस्था ( Puberty ) - ग्यारह से 17 वर्ष तक ।
7 . किशोरावस्था ( Adolescence ) - सत्रह से इक्कीस वर्ष तक ।
8 . प्रौढ़ावस्था ( Adulthood ) - इक्कीस से चालीस वर्ष तक ।
III . कोल ( Cole ) ने विकास की अवस्थाओं का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया है
1 . शैशवावस्था ( Infancy ) - जन्म से लेकर दो वर्ष तक ।
2 . प्रारम्भिक बाल्यावस्था ( Early Childhood ) - 2 से 5 तक ।
3 . मध्य बाल्यावस्था ( Middle Childhood ) - बालक 6 से 12 तथा बालिका 6 से 101
4 , पूर्व किशोरावस्था या उत्तर बाल्यावस्था ( Pre Adole - scence or Late Childhood ) - बालक 13 से 14 तक तथा बालिका 11 से 12 तक ।
5 . प्रारम्भिक किशोरावस्था ( Early Adolescence ) - बालक 15 से 16 तक तथा बालिका 12 से 14 तक ।
6 . मध्य किशोरावस्था ( Middle Adolescence ) - बालक 17 से 18 तक तथा बालिका 15 से 17 तक ।
7 . उत्तर किशोरावस्था ( Late Adolescence ) - बालक 19 से 20 तक तथा बालिका 18 से 20 तक ।
8 . प्रारम्भिक प्रौढ़ावस्था ( Early Adulthood ) - 21 से 37 तक ।
9 . मध्य प्रौढ़ावस्था ( Middle Adulthood ) - 35 से 49 तक ।
10 . उत्तर प्रौढ़ावस्था ( LateAdulthood ) - 50 से 64 तक ।
11 . प्रारम्भिक वृद्धावस्था ( Early Senescence ) - 65 से 74 तक ।
12 . वृद्धावस्था ( Senescence ) - 75 से आगे ।
कुछ प्रमुख विकास की अवस्थाओं का वर्णन इस प्रकार है
1 . गर्भकालीन अवस्था ( Prenatal Period ) - यह गर्भधारण से जन्म तक V की अवस्था है । इस अवस्था की विकास प्रक्रियाओं के अध्ययन की । सुविधा की दृष्टि से इस अवस्था की तीन उप - अवस्थाएँ हैं
( i )बीजावस्था ( Germinal Period ) यह गर्भधारण से दो सप्ताह तक की अवस्था है ।
( ii ) भ्रूणावस्था ( Embryonic Period ) - यह दो से 18 सप्ताह तक की प्रक्रिया है । इस अवस्था का जीव भ्रूण कहलाता है । इस अवस्था में । मुख्य - मुख्य अंगों का निर्माण होता है । ।
( iii ) गर्भावस्था शिशु की अवस्था ( Period of the Fetus ) - यह आठ सप्ताह से जन्म से पूर्व तक की अवस्था होती है ।
2 . प्रौशवावस्था ( Infancy ) यह जन्म स चादह दिनों की अवस्था है । इस अवस्था में शिश को नवजात शिशु ( New Born Neonate ) कहते है
- इस अवस्था में बालक को अनेक प्रकार की क्रियाएं जैसे - चूसना . - निगलना , श्वसन , उत्सर्जन इत्यादि करनी पड़ती है ।
3. बचपनावस्था ( Rabvhood ) - यह अवस्था दो सप्ताह से दो वर्ष तक की अवस्था है । इस अवस्था में बालक पूर्णत : असहाय होता है और अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर होता है , परन्तु इस अवस्था में । विकास की गति तीव्र होती है ।
4 . बाल्यावस्था ( Childhood ) - यह अवस्था तीन वर्ष के प्रारम्भ से तेरह चौदह वर्ष तक की अवस्था है ।
इस अवस्था को अध्ययन की सुविधा हेतु दो भागों में बाँटा गया है -( i )पूर्वबाल्यावस्था , ( i ) उत्तरबाल्यावस्था ।
- बालक में नवीन प्रवृत्तियाँ , जिज्ञासा , सृजनशीलता , अनुकरण इत्यादि का उदय होने लगता है ।
- बालक प्रथम बार अकेले सामाजिक वातावरण में प्रवेश करता है और वह विद्यालय जाना प्रारम्भ कर देता है । इस अवस्था में बालक की खिलौनों में रुचि बढ़ जाती है । इस कारण इस उम्र को खिलौनों की उम्र भी कहा जाता है ।
- इस अवस्था में बालक मित्रमण्डली में रहना ( Group or team ) पसन्द करता है ।
5 . वयः सन्धि या पूर्व किशोरावस्था ( Puberty ) - इसका कुछ भाग उत्तर बाल्यावस्था और कुछ भाग किशोरावस्था में पड़ता है । लगभग दो वर्ष उत्तर बाल्यावस्था और दो वर्ष किशोरावस्था में पड़ते हैं । इसलिए इस अवस्था को ( Overlapping Period ) कहा गया है । इस अवस्था में मुख्यत : यौन अंगों का विकास होता है । शारीरिक और मानसिक विकास की गति इस अवस्था में बाल्यावस्था से तीव्र रहती है ।
6 . किशोरावस्था ( Adolescence ) - बाल जीवन की यह अन्तिम अवस्था है । यह 14 - 15 वर्ष से लगभग 21 वर्ष तक की अवस्था है । लगभग 17 वर्ष तक की अवस्था पूर्व किशोरावस्था कहलाती है तथा इसके बाद की अवस्था उत्तर किशोरावस्था कहलाती है । कुछ लोग इस अवस्था को स्वर्ण आयु ( Golden Age ) भी कहते हैं ।
- इस अवस्था में विपरीत सेक्स के लोगों के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है तथा सामाजिकता और कामुकता इस अवस्था की दो मुख्य विशेषताएँ हैं , जिनसे सम्बन्धित अनेक परिवर्तन बालक - बालिकाओं में इस अवस्था में होते हैं ।
7 . प्रौढ़ावस्था ( Adulthood ) यह इक्कीस से चालीस वर्ष तक की अवस्था है । इसमें कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर सकता है । जन जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में उसका स्वस्थ समायोजन हो । स्वस्थ समायोजन की ही अवस्था में वह उपलब्धियों को प्राप्त कर सकता है ।
8 . मध्यावस्था , उत्तर मध्यावस्था ( Middle , Late Adult - hood ) यह अवस्था 41 से 64 वर्ष तक की अवस्था है । इस अवस्था में व्यक्ति के अन्दर शारीरिक व मानसिक परिवर्तन होते हैं । इस समय व्यक्ति सुखमय एवं सम्मानजनक जीवन की कामना करता है ।
9. वृद्धावस्था ( Senescence ) - यह अवस्था 65 वर्ष के आगे की अवस्था कहलाती है । यह जीवन की अतिम अवस्था के रूप में जानी जाती है । इस अवस्था में याददाश्त कमजोर पड़ जाती है । इस अवस्था में शारीरिक व मानसिक क्षमताओं में कमी आने लगती है ।
By Alok Verma