मोटे एवं लघु धान्य,मंडुवा या रागी

 

मोटे  एवं लघु धान्य-  मंडुवा या रागी

मोटे  एवं लघु धान्य

·        मिलेट को आम भाषा में मोटे अनाज कहते है |

·        धान्य फासले- ग्रेमानी परिवार के सदस्य होते है |

·        मिलेट- धान्य प्रजाति के भारत में विकसित पौधे है |

 

रागी (मडुआ) उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी - रागी की खेती

मंडुवा या रागी

वनस्पतिक नाम-

इल्यूसिन कोरकना ( Eleucine Coracana )

कुल – ग्रेमानी

उत्पत्ति-

भारत, ( डी0 कांडोल 1884 के अनुसार ), अफ्रीका को वेविलाव 1926, मेहरा 1963 के अनुसार मानते है)

इसका विकास एल्यूसाइन इंडिका नामक घास से हुआ था |

 


उत्पादन

विश्व -

अमेरिका, यूरोप के सभी प्रदेश, भारत , चीन, अरब, फारस, और मिस्र आदि देशो के नाम है

भारत में –

कर्नाटक मे सर्वाधिक होता, तमिलनाडू, आंध्र-प्रदेश , उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र का स्थान है |

जलवायु-

गर्मे-नम जलवायु होनी चाहिए

भूमि-

हल्की दोमट  भूमि सर्वोतम होती है | ( काकरीली, पथरीली,ढालू मिट्टी में अच्छी फसल होती है |

रागी (मडुआ) उत्पादन की उन्नत कृषि तकनीकी - रागी की खेती

उन्नतिशील प्रजाति –

ई सी 4840, PR 202, VL 149, PES 176, PES 8 पन्त गडुवा |

भूमि की तैयारी –

2-3 जुताई देही हल, पाटा लगाना चाहिए |

बोने की विधि –

1.   पक्तियों में बुवाई |

2.   रोपाई विधि |

खाद-उर्वरक

1.   40-50, 30-40, 20-30  NPK

2.   बुवाई से पहले गोबर खाद खेत में डाले |

सिचाई-

खरीफ की फसल है वर्षा होती रहती है |

निराई-गुड़ाई-

15 दिन बाद |

उपज -

15-20 कुंतल/ है0

कीट-पतंगे:

1 बिहार रेशेदार सूँडी

2  टिड्डी या ग्रास होपर

3 तना छेदक व तना मक्खी

4 सफ़ेद ग्रथ