प्लेटो के अनुसार ज्ञान प्राप्ति के स्रोत

 

प्लेटो के अनुसार ज्ञान प्राप्ति के स्रोत

प्लेटो के अनुसार ज्ञान प्राप्ति के तीन बड़े स्रोत हैं

    1.       ज्ञान पाँच ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से प्राप्त होता किन्तु ज्ञान का यह रूप अवास्तविक है ।

    2.       ज्ञान अनुभवों के माध्यम से प्राप्त किया जाता किन्तु अनुभवों में वैयक्तिक भिन्नता के कारण किसी भी वस्तु या घटना के विषय में लोगों के विचार भिन्न - भिन्न होते हैं इसलिए ज्ञान का यह रूप भी अवास्तविक है ।

    1.       3. मस्तिष्क द्वारा प्राप्त ज्ञान, यह ज्ञान अमूर्त है और किसी भी मूर्त वस्तु की भांति मस्तिष्क का प्रयोग करके इसे अनुभवों में लाया जा सकता है चूंकि मूर्त जगत अवास्तविक है । केवल पराभौतिक एवम् आदर्शवादी जगत ही वास्तविक है इसलिए केवल मस्तिष्क द्वारा प्राप्त ज्ञान ही वास्तविक होता है । प्लेटो का यह भी मानना था कि सारे विचारक एक दैवीय धागे से बंधे होते हैं इसलिए वे ब्रह्म के उद्देश्य को स्पष्ट करते हैं ।

     

    प्लेटो एवं नैतिकता

    प्लेटो देश के सभी नागरिकों को अच्छा बनाना चाहता था । उसके नैतिक विचार निम्न हैं

    1.       नैतिकता का अर्थ होता है अच्छाइयाँ प्राप्त करना । यह अच्छाइयाँ आत्म के गुण के रूप में होती हैं । धैर्य, साहस, समझ, आत्म नियंत्रण, न्याय स्मृति, उच्च आदर्श आदि आत्मा के प्रमुख गुण ।

    2.       आत्म नियंत्रण के द्वारा इच्छाओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है । हृदय का गुण धैर्य तथा बुद्धि का गुण ज्ञान है । अच्छाई वह है जो हमें आध्यात्मिक प्रसन्नता देती है और बुराई वह है जो आध्यात्मिक दुख देती है । जब आत्म नियंत्रण, धैर्य तथा ज्ञान आपस में मिल जाते हैं तो न्याय उभर जाता है ।

    3.       न्याय मानव को अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करता है । अपने गुरु सुकरात की भांति यह अच्छाई ( मानव कल्याण ) को जीवन का उद्देश्य मानता है । जो मनुष्य को इस योग्य बना सकता है कि वह परमानंद प्राप्त कर सके ।

     

    प्लेटो के दर्शन के स्तम्भ

    1.       योग्यता

    2.       ज्ञान

    3.       सेवा

    4.       राजनीति प्लेटो के दर्शन के स्तम्भ

     

    योग्यता : छात्र की क्षमता के अनुसार शिक्षा ।

    ज्ञान : अच्छाई अर्थात बालक को आदर्श नागरिक बनाना ।

    सेवा : देश व समाज की सेवा ।

    राजनीति : शासन व प्रशासन की कला ।

     

    प्लेटो की पुस्तकें

    1. Republic

    2. Laws

     

    प्लेटो की शिक्षा के रूप ( Forms )

    प्लेटो के अनुसार , शिक्षा के दो रूप हो सकते हैं । पहली वह शिक्षा है जो व्यक्ति को रोजमर्रा के जीवन में अनुकूलित होना सिखाये जैसेकि उद्योग , व्यापार या कृषि की शिक्षा । यह निम्न स्तर की शिक्षा है जो केवल पेट भरना सिखाती है । यह शिक्षा लोगों के अंदर बुद्धिमत्ता का विकास नहीं करती और वह न्याय से दूर रहता है । दूसरी वह शिक्षा है जो व्यक्ति को देश की सेवा करना सिखाती है । इस प्रकार की शिक्षा उसके अंदर बुद्धिमत्ता का विकास करती है जोकि अच्छाई व न्याय पर चलने के लिए आवश्यक है । यह उच्च स्तर की शिक्षा है ।

     

    कोमेनियस की शिक्षण विधियाँ

    1.       आगमन विधि : छात्रों को पहले उदाहरण देकर समझाया जाये फिर उन्हें सामान्यीकरण सिखाया जाये

    2.       भाषा के ज्ञान के लिए व्याकरण की जानकारी आवश्यक नहीं है । इसलिए भाषा को भाषा के माध्यम से पढ़ाया जाये । अर्थात् पहले उस भाषा का वातावरण पैदा किया जाये फिर भाषा का ज्ञान दिया जाये ।

    3.       स्कूलों में शिक्षा को रुचिकर बनाया जाये ताकि बालक स्कूल छोड़ कर न भागें ।

    4.       छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए पुरस्कार दिया जाये ।

    5.       कक्षा में अध्यापक का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण हो

    6.       डांट फटकार एवं दंड छात्रों के अंदर शिक्षा के प्रति घृणा उत्पन्न करते हैं । इसलिए इससे बचा जाये ।

    7.       स्कूल के भौतिक एवं शैक्षिक वातावरण को आकर्षक बनाया जाये ।

    8.       बालकों की शिक्षा बहुत छोटी आयु से आरम्भ जाये ( रूसो के बिल्कुल विपरीत ) ।

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