दर्शन के विभिन्न संप्रदाय दर्शन के पश्चिमी सम्प्रदाय ( Western Schools of Philosophy

दर्शन के विभिन्न संप्रदाय

दर्शन के पश्चिमी सम्प्रदाय ( Western Schools of Philosophy

 

महत्वपूर्ण तथ्य

दार्शनिक : हर व्यक्ति यदि वह चिंतन करके समस्याओं का हल खोजता है तो वह दार्शनिक है । उसके इस चिंतन से दूसरों को भी मार्गदर्शन मिलना चाहिये ।

दर्शन : वह ज्ञान शास्त्र है जोकि पराप्राकृतिक वस्तुओं की वास्तविक प्रकृति की खोज करता है ।

 

ज्ञान शास्त्र ( Epistemology ) : वह विज्ञान है जोकि सत्य एवं असत्य में भेद करते हुए वास्तविक सत्य का बोध कराता है । यह सत्य तक पहुंचने की विभिन्न विधियों की भी व्याख्या करता है ।

 

इन्द्रियजन्य ज्ञान : यह ज्ञान इन्द्रियों के माध्यम से बाह्य वातावरण के सम्पर्क में आने से प्राप्त होता है ऐसा अनुभववादी ( प्रयोजनवादी ) मानते हैं ।

 

बुद्धिजन्य : यह चिंतन , मनन एवं तर्क द्वारा प्राप्त होता है

 

तत्व ज्ञान ( Metaphysics ) : इसका सम्बन्ध सम्पूर्ण ब्रह्मांड से है । इसके द्वारा विश्व की सत्ता को स्पष्ट किया जाता है । यह व्यक्ति को वास्तविक जीवन से परिचित कराता है ।

 

डेस्कार्टी : उसने द्वैतवाद सिद्धांत का विकास किया अर्थात् ब्रह्मांड के ज्ञान के लिए पदार्थ एवं मस्तिष्क दोनों की भूमिका है ।

 

शिक्षा का तकनीकी अर्थ : स्कूल के अंदर व बाहर मिलने वाला वह सारा ज्ञान या अनुभव जो व्यक्ति को उसके जीवन काल में प्रभावित करता है और विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाता है , शिक्षा है ।

शिक्षा को समय , स्थान व व्यक्ति की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता ।

 

दर्शन व शिक्षा

दर्शन जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करता है तथा शिक्षा लक्ष्य के लिए मार्गदर्शन देती है ।

 

·       शिक्षा दर्शन अर्थात् सैद्धान्तिक ज्ञान का व्यावहारिक रूप है ।

·       दर्शन शिक्षा की दिशा को निर्धारित करता है ।

·       दोनों एक दूसरे की समस्याओं को सुलझाने में एक दूसरे का साथ देते हैं ।

 

विज्ञान एवं दर्शन में समानता

समस्या का चयन करना , इनके सम्भावित हल पर विचार करना , कारण एवं प्रभाव के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के लिए प्रदत्तों का संकलन करना , प्रदत्तों का विश्लेषण करके सामान्यीकरण तक पहुंचना , इन पदों को दोनों ही अपनाते और ज्ञान में वृद्धि करते हैं ।

 

1. आदर्शवादी (Idealism)

2. प्रकृतिवादी (Naturalist)

3. यथार्थबाद (Realism)

4. प्रयोजनवाद (Pragmatism)

5. अस्तित्ववाद (Existentialism)