बीएड और एमएड की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण बिंदु !
अर्थ एवं परिभाषाएं
पाठ्यचर्या विकास शिक्षा एवं वे सारे अनुभव जो अधिगमकर्ताओं को स्कूल में उनके व्यवहार तथा उनके मानसिक समुच्चय में इच्छित परिवर्तन लाने के लिए प्रदान किये जाते हैं पाठ्यचर्या कहलाते है । इसमें ज्ञान , कौशल , मूल्य , सभी कुछ शामिल होते हैं से पूर्व निर्धारित होते हैं ताकि अध्यापक अपनी कार्य रेखा से विचलित न हो ।
शिक्षाविदों ने पाठ्यचर्या को निम्न प्रकार से परिभाषित किया |
1. टी.पी. नन- हर प्रकार की वह क्रियाएं जोकि मानव सोच की बड़ी अभिव्यक्ति होती हैं और जोकि विशालकाय संसार में सबसे बड़ी तथा सबसे अधिक स्थायी महत्त्व की होती हैं उन्हें पाठ्यचर्या समझा जाना चाहिए ।
2. कानिंगहम- पाठ्यचर्या अध्यापक ( कलाकार ) के हाथ में सामग्री ( छात्र ) को ढालने के लिए अपने आदर्शों के अनुसार अपने स्टूडियो कक्षा में एक उपकरण होती है ।
3. सेकेन्ड्री शिक्षा आयोग- पाठ्यचर्या से तात्पर्य केवल वे एकेडेमिक विषय नहीं होते जोकि स्कूलों में परम्परागत रूप से पढ़ाये जाते हैं बल्कि इसमें वे सारे अनुभव शामिल होते हैं जोकि छात्र सैकड़ों प्रकार की क्रियाओं के माध्यम से स्कूल में , कक्षा में , पुस्तकालय में , खेल के मैदान में या अध्यापक व शिष्य के बीच में विविध प्रकार के अनौपचारिक सम्पर्को के माध्यम से प्राप्त करता है । इस प्रकार स्कूल का पूरा जीवन पाठ्यचर्या बन जाता है जोकि छात्र के जीवन के हर बिन्दु को छूता हो और एक सन्तुलित व्यक्तित्व के मूल्यांकन एवं विकास में उनकी सहायता करता हो ।