टालमैन का अधिगम सिद्धान्त

इसके अन्य नाम –

  1. चिन्ह सिद्धान्त
  2. उद्देश्य सिद्धान्त
  3. चिन्ह अधिगम सिद्धांत
  4. चिन्ह-गेस्टाल सिद्धान्त
  5. प्रत्यश सिद्धान्त

 

  • एडवर्ड चेस टालमैन वैज्ञानिक थे –
  • 1932 मे प्रयोग किया गया !
  • अधिगम सिद्धान्त है !
  • व्यवहारवाद + समग्रवाद का एक अनोखा मिश्रण कहा जा सकता है !
  • व्यवहारवादी सिद्धांतों तथा संगयानतमक सिद्धांतों के मिले जुले रूप में  सीखने की प्रक्रिया को स्पष्ट करता है !
  • व्यवहार को उद्देश्यपूर्ण माना गया  है !
  • इसमे सीखने छाह प्रकारो की चर्चा की है !

 

  1. कैथेसिस
  2. तुल्यता विश्वास
  3. क्षेत्र प्रत्यस
  4. क्षेत्र संज्ञान ढंग
  5. प्रणोद विभेदन
  6. पेशीय प्रारूप

 

टॉलमैन का चिन्ह अधिगम सिद्धान्त ( ( TOLMAN’S SIGN LEARNING THEORY )

इस सिद्धान्त के पोषक प्रयोगपूर्ण व्यवहारवादी मनोवैज्ञानिक एडवर्क चेस टॉलमैन है । अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन उन्होंने पशुओं और मनुष्यों के प्रयोजनपूर्ण व्यवहार के आधार पर किया है । उनका विचार है कि सीखने के समय प्राणी के शरीर ग्रंथियों , माँसपेशियों तथा स्नायुओं में अनेक चिन्ह उभरते हैं तथा वह उन्हीं के अनुसार व्यवहार भी करता है । टॉलमैन का चिन्ह अधिगम सिद्धान्त सीखने को ज्ञानात्मक मानचित्र बनाना मानता है । उदाहरण के लिए , ताली बजाने से शिशु खुश होता है तथा ताली बजाने वाले की तरफ दौड़ता है । इस प्रकार यह यांत्रिक क्रिया नहीं है बल्कि संज्ञानात्मक क्रिया है । इसी तरह पुरस्कार , दण्ड एवं अनुबंधन ऐसे चिन्ह हैं जो मनुष्य को यह बताते हैं कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए । टॉलमैन ने इस प्रकार से संकेत किया है कि सीखने वाला चिन्हों का अनुसरण करके उद्देश्य प्राप्त करता है । अतएव चिन्ह या पूर्व अनुभव से ही सीखना सम्भव होता है , ऐसा इस सिद्धान्त से पता चलता है । इसके साथ – साथ इस सिद्धान्त में सीखने वाले की आशाओं को भी ध्यान में रखा जाता है ।

इससे पता लगता है की अधिगम  के तीन स्तर होते है !

  1. संबंध प्रत्यावर्तन द्वारा अधिगम
  2. प्रयास एवं त्रटि द्वारा अधिगम
  3. सूझ द्वारा अधिगम

टॉलमैन के अनुसार , “ जो अधिगम प्राप्त करते हैं उन लोगों का व्यवहार , गतियों की अन्य तांत्रिक शृंखला प्रदर्शित नहीं करता , बल्कि यह प्रदर्शित करता है |

  • एडवर्ड चेस टालमैन ने विभिन्न प्रकार की भूल-भुलैया में  चूहो के ऊपर अनेक प्रोग करके अधिगम सिद्धान्त का प्रतिपादन किया है !

 

टालमैन के सिद्धान्त के शैक्षिक निहितार्थ ( Educational Implications of Tolman’s Theory )

( i ) टालमैन का सिद्धान्त सीखने में उद्देश्य की भूमिका तथा महत्व को रेखांकित करता है । अतः बच्चों को जो कुछ भी सिखाया जाये वह उनके लिए लाभप्रद तथा उनकी आवश्यकता के अनुरूप ही होना चाहिए ।

( ii ) टालमैन के अनुसार अधिगम व्यर्थ नहीं होता है वरन उपयुक्त अवसर पर लुप्त अधिगम का प्रस्फुटन हो जाता है । अतः तात्कालिक निष्पादन न होने पर अधिगम के प्रयास जारी रखने चाहिए ।

( iii ) क्योंकि यांत्रिक सम्बन्ध या अनुकूलन का खंडन करते हुए यह सिद्धान्त संज्ञानात्मक अधिगम पर बल देता है इसलिए बच्चों को सिखाते समय समझ तथा बोध पर अधिक बल देना चाहिए ।

( iv ) इस सिद्धान्त के अनुसार सीखने में बाह्य पुरस्कार / पुनर्बलन का महत्व तो है परन्तु यह प्रत्येक सोपान पर आवश्यक नहीं है । अतः बालकों को नई बातों को सिखाते समय बाह्य पुरस्कार के स्थान पर आन्तरिक अभिप्रेरणा पर अधिक बल दिया जाना चाहिए ।

( v ) टालमैन के अनुसार वातावरणीय परिस्थितियाँ , प्रणोद , पूर्व अधिगम , आयु आदि मध्यवर्ती चर सीखने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं । अतः शिक्षण – अधिगम के दौरान इस प्रकार के मध्यवर्ती चरों को पहचानने तथा उनकी भूमिका पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए ।

About Vishnu Nambiar

मैं विष्णु नांबियार हूं और मैं इस ब्लॉग का मालिक और मुख्य सामग्री लेखक हूं। मैं शिक्षा उद्योग में सभी नवीनतम अपडेट जैसे परीक्षा, कॉलेज, पाठ्यक्रम आदि साझा करता हूं। मैं केरल का एक प्रमाणित और पेशेवर करियर परामर्शदाता और ब्लॉगर हूं।

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